Thursday, February 11, 2016

Saraswati Puja

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ऋग्वेद में माता सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है - प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु। बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाता है ब्रह्मा जी ने विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमण्डल से पृथ्वी पर जल छिड़का,उसी समय चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का जन्म हुआ जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी| तब ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती के नाम से पुकारा| देवी सरस्वती को अनेक नामों से भी पूजा जाता है वीणावादनी, वाग्देवी, बागीश्वरी, भगवती, और शारदा| भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी विद्यार्थी आज के दिन अपने पुस्तक और कलाम की पूजा करते है| 

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