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शिवजी उस यज्ञकुंड से देवी सती के पार्थिव शरीर को निकाला और कंधे पर उठाकर इधर-उधर घूमने लगे, देवी सती के शव के विभिन्न अंग और आभूषण विभिन्न-विभिन्न स्थानों पर गिरे और ये जहाँ-जहाँ गिरे वही-वही शक्तिपीठों का निर्माण हुआ |
उन बावन शक्तिपीठों में से एक नारतियांग का भी स्थान माना जाता है, ऐसा ही एक स्थान है जहाँ माता सती का बाया जांघ (लेफ्ट थाइ ) गिरा वो स्थान मेघालय के जयंतिया हिल में नारतियांग गाँव में स्थित है | यहाँ पर यह स्थान नारतियांग दुर्गा मंदिर के नाम से प्रचलित है |
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उत्तर-पूर्व भारत का
यह मंदिर लगभग
५०० साल पुराना
है कहा जाता
है की देवी
का बाया जांघ
जयंतिया हिल में
गिरने ये इनका
नाम जाइंटेश्वरी देवी
भी पड़ा | नारतियांग लगभग शिलॉंग
से ६५ किलोमीटर
दूर पर बसा
हुआ है | यहाँ
पर यह मंदिर
बहुत ही खूबसूरत
एक घर जैसे
बना हुआ है,
जो की यहाँ
के मौसम और
वातावरण के अनुरूप
बना है | यह मंदिर यहाँ के राजा धन माणिक
के द्वारा बनवाया गया | एक बार देवी उनके स्वपन में उन्हें दर्शन दिया और उनसे कहा
की इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण करा दो तब राजा धन माणिक नें उस स्थान पर माता
का मंदिर का निर्माण कराया तब से यह स्थान जाइंटेश्वरी पड़ा | यह मंदिर मिंतदु नदी
के किनारे बसा हुआ है | इस मंदिर में पूजा-अर्चना सभी जयंतिया रीति-रिवाजों के अनुसार
ही होता है |
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यहाँ पर बलि प्रथा प्रचलित है और यहाँ पर मानव बलि भी दी जाती थी परन्तु
ब्रिटिश काल में बंद करा दिया गया परंतु अब भी बलि होती है उसें बकरी, बतक और मुर्गे
की दी जाती है | बकरे की बलि को पूरी तरह से सज़ा के ( उसे धोती पहना के और उसके सर
में मानव का मुखवटा लगा कर दिया जाता है ) जहाँ पर बलि दी जाती है वही पर एक सुरंग
बनी है वो सुरंग मिंतदु नदी से जुड़ा हुआ है और बकरे का सिर उसी सुरंग से सीधे नदी
में जा मिलती है | दुर्गा पूजा के समय केले के पेड़ ( देवी दुर्गा ) मान कर उसे बेहद
खूबसूरती के साथ सजाया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है | पूजा पूर्ण होने के
उपरांत केले के पेड़ को मिंतदु नदी में विधिवत समर्पण कर दिया जाता है | उत्तर-पूर्व
भारत में जाइंटेश्वरी के साथ-साथ और भी दो स्थान है, जहाँ देवी के प्रमुख स्थान है
एक तो गुवाहाटी में जहाँ माता को कामाख्या के नाम से उनके भक्त पुकारते है और दूसरा
त्रिपुरा में जहाँ पर त्रिपुरा सुंदरी के नाम से पुकारते है |
स्थान
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राज्य / देश
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शरीर का अंग / आभूषण
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शक्ति
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भैरव
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नारतियांग गाँव / जैंटिया हिल्स डिस्ट्रिक्ट
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मेघालय
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बायाँ जाँघ
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जयंती
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क्रमदिश्वर
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I never knew about this temple. One time visit worth it. Would like to visit the Shaktipeeth once in a lifetime.
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